शुरू करो
शुरू करने से अंत होगा।
सोंचा बहुत,
पर सोंचने से क्या होगा।
जीवन है
संघर्ष से सरल होगा।
खेत है खलिहान है,
देखने से क्या होगा।
लगे रहो,
लगने से ही प्राप्त होगा।
परीक्षा है,
पढ़ते रहो,पढ़ने से ज्ञान होगा।
अरे देखो न,
देखने से क्या होगा।
समय है,
देखते देखते ही कम होगा।
रात है,
सब्र रखो, सब्र करने से ही दिन होगा।
दीपक नहीं है,
निरास मत हो।
पूरनमासी का चाँद काले बादलों से ढ़का है।
निरास मत हो।
आशा रखो काला बादल साफ होगा।
ये लो कुछ नहीं,
पत्थरों से ही प्रकाश होगा।
चंद्रसेन "अंजान"